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विष्टि करण और उसके प्रभाव: ज्योतिष में एक विशेष विचार

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विष्टि करण और उसके प्रभाव: ज्योतिष में एक विशेष विचार

ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो हमें आकाशीय ग्रहों की गतिविधियों का अध्ययन करके मानसिक, शारीरिक और भौतिक विपरीत प्रभावों को समझने में मदद करता है। ज्योतिष के अनुसार, विष्टि करण एक विशेष गतिविधि है जो ग्रहों के संगठन में घटित होती है और इसका मानसिक, शारीरिक और आर्थिक प्रभाव भी होता है। इस लेख में, हम विष्टि करण के बारे में और इसके विभिन्न प्रभावों के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

विष्टि करण क्या है?
ज्योतिष के अनुसार, विष्टि करण एक समय की अवधि होती है जब दो या अधिक ग्रह एक दूसरे के साथ एक ही राशि में मिलते हैं। यह एक अद्यतन योग होता है जो ग्रहों की स्थिति में जोड़ा जाता है और इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इस दौरान, विष्टि करण की अवधि में ग्रहों के बीच विभिन्न प्रभाव उत्पन्न होते हैं जो सामान्यतया मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर अनुभव किए जा सकते हैं।

विष्टि करण के प्रभाव
विष्टि करण का मानसिक और शारीरिक प्रभाव हमारे जीवन पर विभिन्न तरीकों में प्रकट हो सकता है। यह प्रभाव व्यक्ति के जन्म चार्ट, योग्यता, ग्रहों की स्थिति, राशि और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। विष्टि करण के प्रभावों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

1. मानसिक प्रभाव: विष्टि करण आमतौर पर मानसिक प्रभाव पैदा करता है जो हमारे मनोवैज्ञानिक स्तर पर दिखाई देता है। इस अवधि में, व्यक्ति में चिंता, अवसाद, उत्साह, अधीरता और अन्य भावनाओं में परिवर्तन हो सकता है।

2. शारीरिक प्रभाव: विष्टि करण शारीरिक प्रभाव भी प्रदान कर सकता है। यह शारीरिक रोगों, दर्द, तापमान में वृद्धि, थकान और अन्य शारीरिक लक्षणों का कारण बन सकता है।

3. आर्थिक प्रभाव: विष्टि करण का आर्थिक प्रभाव भी होता है। इस अवधि में, धन कमी, आर्थिक अस्थायीता और अन्य आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

4. सामाजिक प्रभाव: विष्टि करण सामाजिक प्रभावों को भी प्रभावित कर सकता है। इस अवधि में, व्यक्ति में सामाजिक और संघर्ष भी दिखाई दे सकते हैं और उन्हें अपने समाजिक संबंधों पर असर पड़ सकता है।

विष्टि करण के उपाय
ज्योतिष शास्त्र में विष्टि करण के प्रभावों को निरकार करने के लिए कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं। ये उपाय व्यक्ति की भावनाओं, ग्रहों की स्थिति और अन्य कारकों पर निर्भर करते हैं। कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

1. मंत्र जाप: विष्टि करण की अवधि में मंत्रों का जाप करने से अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।

2. ध्यान: ध्यान में रहकर मन को शांत रखने से मानसिक तनाव कम हो सकता है।

3. दान: दान करना और अन्य उपयोगी कार्यों में सक्रिय रहना विष्टि करण के प्रभावों को कम कर सकता है।

4. रत्नों का धारण: कुछ रत्नों का धारण भी विष्टि करण के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

समाप्ति
ज्योतिष में विष्टि करण एक महत्वपूर्ण और विशेष विचार है जो हमें ग्रहों की गतिविधियों के आधार पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक प्रभावों को समझने में मदद करता है। यह प्रभाव व्यक्ति की जन्म चार्ट, योग्यता, ग्रहों की स्थिति, राशि और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। विष्टि करण के दौरान व्यक्ति में मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं जो विष्टि करण के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

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